बुधवार, 2 जून 2010

जाको राखे साइयां

एक पेर पर दो पझी आनंद से बैठे थे ! उन्हें अपने ऊपर मंडरा रहे खतरे का कोई
आभास नहीं था ! लेकिन आसमान में उनके ऊपर एक गिद्ध मंडरा रहा था
बह दोनों को अपना शिकार बनाना चाहता था ! और धीरे धीरे उनके निकट
आ रहा था ! बहीं कहीं से एक आखेटक भी आ पहुंचा ! पेर पर बैठे पंछियों
के जोड़े को देख कर उसका मन भी ललचाने लगा ! उसने उनके ऊपर मंडरा
रहे गिद्ध की और ध्यान नहीं दिया ! उसने पंछियों को मरने के लिए तीर से
निशाना साधा, तभी पीछे से एक जहरीले नाग ने आकर उसे डंश लिया, जिससे
आखेटक का तीर तिरछा चल गया और बह गिद्ध को जा लगा ! शिकार करने की
लालसा रखने बाले गिद्ध और आखेटक की मृत्यु हो गई लेकिन दोनों पंछी सुरझित
बच गए !
हम जीबन में बहुत सारी कामनाएं करतें हैं और उनके लिए
उधम भी करते हैं! लेकिन भावी को हममें से कोई कोई नहीं जानता
!



""जो पुस्तकें तुम्हें सबसे अधिक सोचने के लिए विवश करती हैं बह तुम्हारी सबसे बड़ी सहायक हैं!""

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